सुगम स्वास्थ्य सेवाएं

दिंनाक: 19 Apr 2017 18:06:07

मंहगी दवाईयों के चलते इलाज न करा पाने वाले मरीजों के लिए खुशखबरी है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार एक ऐसे कानून पर विचार कर रही है जिसके बाद सभी डॉक्‍टर पर्चे पर सिर्फ सस्‍ती दवाईयां लिखेंगे और गरीब या असहाय मरीजों को इलाज करवाना सरल हो जाएगा। अपने दो दिन के गुजरात दौरे पर आए पीएम मोदी एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि, जेनेरिक दवाओं के लिए जल्द कानून आएगा। डॉक्टर भी मरीजों को जेनरिक दवाएं ही लिखें। यह कानून काफी कड़ा होगा, जिसके बाद डॉक्‍टरों को सस्‍ती दवाईंया लिखना अनिवार्य हो जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार की व्यापक स्वास्थ्य देखभाल नीति के तहत लोगों के फायदे के लिए लगभग 700 दवाओं की कीमतें तय कर दिये जाने की जानकारी देकर देश की गरीब जनता को राहत दी है। सरकार के द्वारा ऐसी नीति बनाया जाना भी देश के हित में जिसके अन्तर्गत डॉक्टर्स अब केवल जेनरिक दवाएं ही लिखेंगे। इससे न केवल बड़ी दवा कंपनियों के एकाधिकार को खत्म करेगा बल्कि लम्बे समय से दवा के नाम पर चली आ रही लूटपाट भी समाप्त होगी। इस तरह की नीति का बनना और उसे ईमानदारी से लागू करना सचमुच लोक कल्याणकारी शासन को दर्शाता है। देश में इस समय लगभग एक लाख करोड़ रु। की दवाइयां बिकती है, जिनमें अधिकांश एथिकल होती है, इनमें उचित दामवाली जेनेरिक सस्ती दवाइयां की बिक्री सिर्फ 9 प्रतिशत है।

किसी भी बीमारी के इलाज के लिए डाक्टर जो दवा लिखते हैं ठीक उसी दवा के साल्ट वाली जेनरिक दवाएं उससे काफी कम कीमत पर आपको मिल सकती हैं। दवा के दाम का यह अंतर पांच से दस गुना तक हो सकता है। लेकिन लोगों में जेनरिक दवाओं के लिए जागरुकता नहीं है। यह भी जानना आवश्यक है कि देश की लगभग सभी नामी दवा कंपनियां ब्रांडेड दवाओं के साथ उसी साल्ट पर कम कीमत वाली जेनरिक दवाएं भी बनाती हैं। लेकिन ज्यादा लाभ के चक्कर में डाक्टर और कंपनियां लोगों को इस बारे में कुछ नहीं बताते। इसी वजह से लोग महंगी दवाएं खरीदने को विवश होते हैं।

सरकार एक ऐसा कानूनी ढांचा तैयार कर सकती है जिसके तहत डॉक्टरों को उपचार के संबंध में जेनेरिक दवा सुझाने होंगे जो ब्रांडेड दवाओं की तुलना में सस्ती होती हैं। सरकार ने लोगों के लिए इलाज सस्ता करने की तरफ कदम बढ़ाते हुए दिल के मरीजों को लगने वाला डेढ़ से दो लाख रुपए का स्टेंट 20-22 हजार में उपलब्ध करवाया है। 40 हजार के स्टेंट की कीमत 7 हजार रुपए करवाई है।

हमारे देश में डॉक्टर कम हैं, अस्पताल कम हैं और दवाएं महंगी हैं। अगर किसी मध्यम वर्ग का कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है, तब उसके परिवार की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि सभी को कम कीमत में स्वास्थ्य सेवाएं सुगम हो सके। सरकार लोगों को सस्‍ती दवाएं उपलब्‍ध करवाने और जरूरी दवाओं की कीमतें तय करने के लिए कई महत्‍वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। सरकार प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना लागू कर रही है जहां लोगों को स्टोर से सही मूल्य पर जेनेरिक दवाएं मिलती हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली सस्ती जेनरिक दवाएं पूरी तरह उच्च गुणवत्तापूर्ण हैं और ब्रांडेड दवाओं की तुलना में इनकी गुणवत्ता कहीं भी किसी भी तरह से कम नहीं है। सरकार ने यह पहले ही सुनिश्चित कर दिया है कि जेनरिक दवाएं किसी भी तरह से ब्रांडेड दवाओं से गुणवत्ता में कमतर नहीं होंगी और ये दवाएं विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों पर परखे जाने के बाद ही जन औषधि केंद्रों पर मरीजों के लिए उपलब्ध करायी जाती हैं। केंद्र सरकार ने देश भर में 3000 से ज्‍यादा नए औषधि स्‍टोर खोलने का लक्ष्‍य तय किया है। ऐसे में जो व्यक्ति इन स्‍टोर्स को खोलेगा, उसे पहले की तुलना में ज्‍यादा आर्थिक प्रोत्‍साहन देने का प्रावधान किया गया है।